OSI model (ओएसआई मॉडल) का पूरा नाम Open Systems Interconnection (ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन मॉडल) है ।
Definition of OSI Model in Hindi :- ये ISO या International Organization for Standardization द्वारा बनाया गया नियमों का एक समूह या प्रोटोकॉल है। इसका उपयोग किसी नेटवर्किंग प्रणाली (networking system) में सभी मशीन जैसे की Computer, Laptop, Printer, Scanner आदि के बीच communication (संचार) के लिए आवश्यक नियमों को परिभाषित करने के उद्देश्य से किया जाता है।

अगर साधारण शब्दों में कहें तो OSI एक वैचारिक ढांचा (Conceptual Framework) है, जो विभिन्न कंप्यूटर प्रणालियों को नेटवर्क में एक दूसरे के साथ संवाद करने में सक्षम बनाने के लिए एक आवश्यक मानक (standard) प्रदान करता है। OSI एक सार्वभौमिक (universal) मानक है, इसलिए नेटवर्क से जुड़े सभी उपकरण इसके नियमों का पालन करते हैं। जिससे किसी भी उपकरण को आपस में जानकारियों का आदान-प्रदान करने में कोई समस्या नहीं होती है।
OSI Model में कुल 7 Layers (परत) होते है। इसलिए OSI को कई बार seven layers framework के नाम बुलाया जाता है । इन सभी 7 Layers के बारे में हम आगे विस्तार से पढ़ेंगे, लेकिन उससे पहले हम ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन के इतिहास को जान लेते हैं।
History of Open Systems Interconnection in Hindi:- 1961 में सबसे पहले कंप्यूटर नेटवर्क को विकसित किया गया था लेकिन उस समय इसका उपयोग केवल US Army के द्वारा किया जाता था। 1970 के दशक में कंप्यूटर नेटवर्किंग का उपयोग समान्य लोगों के द्वारा भी किया जाने लगा इसी समय नेटवर्किंग को विकसित करने के लिए कई अनुसंधान चल रहे थे। उस समय दो अलग-अलग कंप्यूटर जिनमें हार्डवेयर उपकरण और ऑपरेटिंग सिस्टम भिन्न हो उनके बीच बिना किसी समस्या के जानकारियों का आदान-प्रदान करने के लिए किसी ऐसे नियमों की आवश्यकता थी जिनका पालन सभी कंप्यूटरों के लिए अनिवार्य हो। इसी उद्देश्य से 1983 में सबसे पहले OSI model की नींव रखी गई जिसका पालन आज भी उपकरणों द्वारा किया जाता है। 1984 में OSI architecture इसे International Organization for Standardization (ISO) द्वारा एक global network architecture के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
Needs of OSI Model in Hindi
- यह विभिन्न उपकरणों के बीच होने वाले communication को समझने में विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं की सहायता करता है।
- नेटवर्क से जुड़े हुए अलग-अलग प्रकार के मशीनों के बीच जानकारियों का आदान-प्रदान करना एक जटिल कार्य है लेकिन OSI मॉडल इस जटिल कार्य को कई अलग-अलग layers में बांट देता है जिससे विभिन्न प्रकार इस समस्याओं का निवारण करना बहुत आसान हो जाता है।
- यह नेटवर्क के लिए नए तकनीकों को विकसित करने तथा उन्हें समझने में सहायता करता है।
- यह विभिन्न हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनियों को एक ऐसे उत्पाद का निर्माण करने में सहायता करता है जो कि सभी प्रकरणों के साथ बिना किसी समस्या के संचार करने में सक्षम हो।
- यह बहुत ही flexible या लचीला मॉडल है जो कि नेटवर्क में किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के कामों के लिए आवश्यक प्रोटोकॉल को चुनने पूरा अवसर प्रदान करता है। उदाहरण के लिए नेटवर्क में किसी फाइल को हस्तांतरित करने के लिए UDP और TCP जैसे कई प्रोटोकॉल उपलब्ध है लेकिन इनमें से किस प्रोटोकॉल का चुनाव करना है इसका निर्णय network administrator द्वारा आवश्यकताों के अनुसार द्वारा बहुत आसानी से किया जा सकता है।
Seven Layers of OSI Model in Hindi
Seven Layers of OSI Model in Hindi:- ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन मॉडल में कुल 7 परत होते हैं, जिनका नाम और उपयोग निम्नलिखित रुप से है:-
- Application Layer (एप्लिकेशन लेयर) :- इसे end user लेयर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि एप्लीकेशन लेयर में मौजूद सॉफ्टवेयर, नेटवर्क के उपयोगकर्ता से दिए जाने वाले डेटा के साथ सीधे संपर्क करती है। यह लेयर उस पार्टनर की जांच करता है जिसके साथ संचार करना है तथा संचार के लिए आवश्यक संसाधनों के उपलब्धता की भी जांच करता है। वेब ब्राउज़र और अन्य इंटरनेट से जुड़े app जैसे कि Outlook और Skype एप्लिकेशन लेयर प्रोटोकॉल का उपयोग करते हैं।
- Presentation Layer (प्रेजेंटेशन लेयर) :- एप्लिकेशन लेयर से मिलने वाले data को प्रेजेंटेशन लेयर में आवश्यक के अनुसार ट्रांसलेट करके नेटवर्क पर प्रसारित किया जाता है। उदाहरण के लिए एप्लीकेशन लेयर में डेटा ASCII रूप में होता है जिसे प्रेजेंटेशन लेयर में Binary Coded में परिवर्तित कर दिया जाता है। इसके आलावा प्रेजेंटेशन लेयर में डेटा को Comperes करके उसके आकर को छोटा किया जाता है तथा Encryption / Decryption भी किया जाता है।
- Session Layer (सेशन लेयर):- इसका उपयोग नेटवर्क से जुड़े हुए उपकरणों के बीच की बातचीत की प्रक्रिया को स्थापित करने तथा उन्हें बनाए रखने करने के लिए किया जाता है। साथ ही यह जानकारियों के हस्तांतरण में होने वाले बाधाओं को दूर करता है और किसी मैसेज को भेजने में असफल होने पर उसे से भी recover करने की सुविधा प्रदान करता है।
- Transport layer (ट्रांसपोर्ट लेयर):- यह विभिन्न कंप्यूटरों के बीच नेटवर्क के उपयोग से जानकारियों को स्थानांतरित करने के लिए जिम्मेदार है और यह डेटा के प्रवाह को भी नियंत्रित करता है। यह निर्धारित करता है कि कितना डेटा भेजना है, इसे कहाँ भेजना जाता है और किस दर से भेजना है।
- Network Layer :- यह नेटवर्क से जुड़े सभी डिवाइसेस की लोकेशन को ट्रैक करता है। यह नेटवर्क की स्थिति, सेवा की प्राथमिकता जैसे विभिन्न कारकों के आधार पर के आधार पर डेटा को स्रोत से गंतव्य तक ले जाने के लिए सर्वोत्तम मार्ग निर्धारित करता है। यह एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क में डेटा को प्रसारित करने का काम भी करती है।
- Data-Link Layer (डेटा लिंक लेयर) :- यह डेटा फ़्रेम के त्रुटियों को ठीक करके उन्हें हस्तांतरण के लिए जिम्मेदार है। यह डेटा को भेजने और प्राप्त करने वाले उपकरणों के बीच डेटा प्रवाह की गति को प्रबंधित करता है। यह IP address के आधार पर नेटवर्क से जुड़े सभी उपकरणों को uniquely पहचानने में सक्षम है।
- Physical layer (फिजिकल लेयर):- यह OSI मॉडल का सबसे निचला परत है। यह विभिन्न उपकरणों के बीच की भौतिक रूप से संबंधों को स्थापित करता है। नेटवर्क में जानकारियां सिग्नल के रूप में प्रसारित होती है यह सिग्नल electrically, optically या radio waves के रूप में हो सकता है। फिजिकल लेयर विभिन्न कंप्यूटर से प्राप्त होने वाले data को सिग्नल के रूप में परिवर्तित करता है।
The Advantages of the OSI model in Hindi
- यहां नेटवर्क से जुड़े सभी मशीन जैसे कि कंप्यूटर, लैपटॉप, प्रिंटर, स्कैनर आदि को एक standard protocol प्रदान करता है जिसका उपयोग करके सब आपस में जानकारियों का आदान प्रदान कर सकते हैं।
- ओएसआई मॉडल आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करता है जिसका उपयोग करके नेटवर्क Connection स्थापित किया जा सकता है।
- यह नेटवर्क के निर्माण के लिए आवश्यक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर का निर्धारण करने में network administrators की मदद करता है।
- यह वायरलेस नेटवर्क कनेक्शन जैसे कि Radio Signals या WIFI तथा Wired Network मतलब की ऐसा नेटवर्क जिन्हें तार या केवल के मदद से स्थापित किया जाता है इन दोनों का ही समर्थन करता है।
- ओएसआई मॉडल हार्डवेयर निर्माताओं को ऐसे उत्पाद निर्माण करने में मदद करता है जो कि नेटवर्क से जुड़े सभी प्रकार के उपकरणों के साथ संवाद करने में सक्षम हो।
- नेटवर्किंग घटकों के बीच उपयोग की जाने वाली संचार प्रक्रिया को समझने में मदद करता है जिसके उपयोग से विद्यार्थी और इंजीनियर नई Product और Services का निर्माण कर सकते हैं।
- ओएसआई मॉडल नेटवर्क में प्रवाहित होने वाले data को अधिक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
- यह एक जटिल प्रक्रिया को कई अलग-अलग परतों में बांट देता है जिससे इन्हें समझना काफी आसान हो जाता है जो कि इसे अधिक अनुकूल और सुरक्षित बनाता है।
- OSI Models का प्रत्येक layer या परत स्वतंत्र रूप से काम करता है अर्थात अगर किसी एक layer में कोई बदलाव किया जाए तो इसका प्रभाव दूसरे layer पर बहुत कम ना के बराबर होता है।
The Disadvantages of the OSI model in Hindi
- यह एक theoretical model (सैद्धांतिक मॉडल) है, जो technology की उपलब्धता पर विचार नहीं करता इसलिए इसका practical implementation (व्यावहारिक कार्यान्वयन) बहुत ही जटिल हो सकता है।
- OSI मॉडल बहुत ही जटिल और महंगा है।
- नेटवर्क में किसी विशेष कार्य को करने के लिए कई अलग-अलग प्रकार के प्रोटोकॉल उपलब्ध होते हैं जैसे कि Email भेजने के लिए IMAP, POP3, SMTP जैसे प्रोटोकॉल उपलब्ध है। लेकिन OSI मॉडल किसी एक प्रोटोकॉल को उपयोग करने का सुझाव नहीं देता है, इसलिए यह पूरी तरह से नेटवर्क इंजीनियर के ऊपर र्भर करता है कि वह नेटवर्क की आवश्यकताओं का विश्लेषण करके इसका निर्धारण करें कि किसी विशेस काम के लिए उसे किस प्रोटोकॉल का चुनाव करना है।
- OSI Models के कई पड़त है जो एक ही काम को बार-बार करते हैं, उदाहरण के लिए addressing, flow control और error control जैसे सेवाओं को कई परतों द्वारा किया दोहराया जाता है। इससे व्यर्थ में समय की बर्बादी होती है।
- एक वास्तविक नेटवर्क सिस्टम में कई ऐसी समस्याएं भी होती है जिनका समाधान OSI Models द्वारा उपलब्ध नहीं करवाया जाता है, इसके लिए अतिरिक्त प्रोटोकॉल का उपयोग करना पड़ता है।
- Open Systems Interconnection Models को लॉन्च करने से पहले ही बाजार में TCP/IP प्रोटोकोल उपलब्ध थे। जिन्हें शिक्षाविदों द्वारा बहुत अधिक पसंद किया जाता था। साथ ही जब OSI मॉडल के प्रारंभिक संस्करण में बहुत सारी खामियां थी।
- OSI यूरोपीय समुदायों और अमेरिकी सरकार का एक उत्पाद था, और इसे जबरदस्ती लागू करवाने की कोशिश की जा रही थी इसलिए शोधकर्ताओं और प्रोग्रामरों द्वारा इसका बहुत विरोध किया गया था।
- इसमें कोई भी Layers स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकता है क्योंकि प्रत्येक Layers डेटा के लिए अपने पिछले लिए Layers के ऊपर पूरी तरह से निर्भर है।
Conclusion on OSI Models in Hindi :- ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन मॉडल या ओएसआई मॉडल एक मार्गदर्शन या सैद्धांतिक ढांचा है जिसका उपयोग नेटवर्क से जुड़े सभी उपकरणों को आपस में जानकारियों का आदान प्रदान करने योग्य बनाने के लिए किया जाता है। इसे ISO द्वारा मान्यता प्राप्त है एक universal (सार्वभौमिक) framework है। इसलिए इसका उपयोग सभी हार्डवेयर निर्माता और सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन निर्माताओं द्वारा करना अनिवार्य है। यह तार या cable तथा बिना तार या wireless दोनों के उपयोग से किए जाने वाला नेटवर्क संचार के लिए मान्य है। OSI Models के कारण किसी भी web application developers को इन बातों की चिंता नहीं करनी पड़ती है कि कोई application की अलग-अलग उपकरणों के बीच जानकारियों का आदान-प्रदान किस प्रकार से करेगा क्योंकि सभी मशीन एक universal फ्रेमवर्क का पालन करते हैं।
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